“खुद को इतना भी मत बचाया कर …….बारिशें हों तो भीग जाया कर”………………बशीर बद्र

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“खुद को इतना भी मत बचाया कर …….बारिशें हों तो भीग जाया कर”. जी हाँ याद करिए कि आख़िरी बार आप कब नहाये थे बारिश में? शायद बचपन में ! माएं चिल्लाती रहती थीं और बचपन भीगता रहता था. आ जाओ अब…. जुकाम हो जायेगा….बहुत नहा लिए….बुखार करना है क्या…?..पर […]